anargal aur anayaas

खुली  हवा
चाय की चुस्की
सुनना कुछ नए कुछ पुराने
  कुछ अच्छे , कुछ  अई  वी गाने

देखना कई बार देखी हुई फिल्म , और
बेहिसाब प्रचार
और फिर कह देना
  याद है "जब आता  था सिर्फ  चित्रहार "

बैठ जाना तीन चार चवन्नियों के साथ
बगल वाले हाइवे के ढाबे पे
पराठे खाते हुए

 सरकारी नीतियों को कोसना
अच्छा न लगने पर भी
  खा जाना पूरा अचार 


 फिर कभी एक पुराने पडोसी को लगा लेना 
फ़ोन 
और नयी ख़बरें सुनना उस मोहल्ले की जिसमे अब  दोनों में से कोई भी  
 नहीं रहता

  फुर्सत..
फुर्सत बड़ी चीज़ है
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