Soch kahin kho na jaaye

सोचें
आओ थोड़ा और सोचें
थोड़ा और
बस थोड़ा और

विचार कहीं खो न जाएँ
इस लिए उन्हें सूचिबद्ध करें
और हर पहलू को बारी बारी से गौर करें
थोड़ा और सोचें

मालूम होता कि
"अकेले किसी निष्कर्श पर पहुंचना संभव नहीं है "
चार पंडितों को भी बुला लें
बैठकि लगाएं,परामर्श करें

निष्कर्षविहीनता को न लें नकारात्मक
इतिहास से भी लें थोड़ा ज्ञान
और आने वाले भविष्य का भी रखें ध्यान
सभी आयामों में टटोलें

मिला क्या

हताश न हो

बस थोड़ा और
बस अब नतीजें सामनें आ जायेंगे
"कुछ न कुछ निष्कर्ष तो निकाल ही लेंगे "

पर याद रहे
निष्कर्श पर आने की अधीरता मेँ
सोंच खोने न पाये


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