लिख दो सारी बातें likh do saari baten


और जब कोई कागज़ न बचे
तो पुरानी रसीदों को टटोल के लिख दो
लिख दो सारी बातें
जो न जाने कब जेहन से उतर
खो जाएँगी

लिख दो प्रसंग उन चंद
बिताए लम्हों का
जो बड़ी चालाकी से छीन लाये थे
उस आपाधापी से
और यह भी लिख दो की
कैसे नार्वसियाए थे वोह
और फिर कैसे मन लग गया

लिख दो सारी बातें
जो न जाने कब जेहन से उतर
खो जाएँगी

लिख दो विवरण
उस मीठी बोली का
जिसे सुन रोम रोम खिल जाता है

और याद तो होगा
कैसे लज्जा से नज़र बचा
आकांशा कौतुहल से मिल आई थी

लिख दो सारी बातें
जो न जाने कब जेहन से उतर
खो जाएँगी

मत भूल जाना लिखना
छिपी हुई नमी उन आखों में
जो बस फूट पड़ने का
इंतज़ार कर रही है

और कैसे वोह फॉर्मेलिटी के नाम पे
बड़ी कोशिश कर रहे थे
अपनापन छुपाने की

लिख दो सारी बातें
और लिखते लिखते अगर
कुछ और भी याद आये
तो लिख देना
न जाने कब जेहन से उतर
खो जाये यह बातें


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