जब तुम नदी बन जाओगी

 और जब तुम नदी बन जाओगी

तब तुम्हे मेहसूस हो जायेंगी वो हज़ारों छोटी बड़ी मछलियां, जो तैर रही हैं तुममे

मेहसूस होंगी तुम्हें टकराती हुई

और फिर टूटती हुई चट्टानें 


और जब तुम नदी बन जाओगी

तुम्हे पता चलेगा तुम्हारे वेग का

कही अपनी चंचलता का एहसास होगा 

और कहीं अपनी गहराई का


और जब तुम नदी बन जाओगी

तब भी याद रखना, उन बादलों को

उन हिम खंडों को जो तुम्हे जीवन देने के लिये मिट गए

याद रखना उन सभी कणों को 

जो निस्वार्थ बह चले तुम्हारे साथ


और जब तुम नदी बन जाओगी 

वो आयेंगे तुम्हारे पास

अपनी प्यास बुझाने, अपने पाप धोने

और कभी बस किनारे पे वक़्त गुजारने


आसान नही होगा 

पर मुझे पता है

तुम एक दिन नदी बन जाओगी। 

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