Ajeeb baat अजीब बात

 बात सुनने में लगेगी अजीब सी मगर, 

है  अजीब इसी लिये तो बता रहा हूँ। 


समझ ना आने वाली है ये क़िताब, 

ज़रा सी बात ये कबसे रटा रहा हूँ। 


मुझसे पूछते मुझको और निकल जाते आगे, 

जाने कबसे मैं अपना ही लापता रहा हूँ l


बड़े प्यार से वो रिश्ता जता रहे थे, 

मैं हूँ कोई गैर, बस यही जता रहा हूँ। 


 सताने कि आदत है बुरी हमको मगर, 

है बुरी आदत इसी लिए तो सता रहा हूँ। 


निभाना तुझसे दोस्ती है बड़ा मुश्किल, 

है बड़ा मुश्किल इसलिए तो निभा रहा हूँ। 


बात सुनने में लगेगी अजीब सी मगर, 

है  अजीब इसी लिये तो बता रहा हूँ। 



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