किंगफ़िशर (रामचिरैया ) - विलियम हेनरी डेविस


किंगफ़िशर कविता मैंने बचपन में स्कूल में पढ़ी थी , आज इसका हिंदी में अनुवाद करने की ईक्षा हुई , सो कर डाला  ।  त्रुटियों के लिए अभी से क्षमा | 

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वोह इंद्रधनुष थी , जिसने जन्मा तुझे ,
और छाप छोड़ दी अपने प्यारे वर्णों की | 
और, क्यूंकि उसकी माँ का  नाम था आँसू,
इस लिए मेरी रगों में भी है चुनाव   | 
तभी  तो, भटकता है सुनसान ताल में , और 
साथी है वे दुःख में विलाप करते वृक्ष |  

जाओ कभी लेकर अपने महान रंग ,
रहो उन अभिमानी मोरों के बीच हरे बगीचों में | 
उस कांचनुमा घांस पे , 
करो प्रदर्षित अपना एक एक पंख | 
बैठ उन डालियों पे , फड़फड़ाओ अपने पंख ,
जिनके सामने हैं गर्वीले नरेश के झरोखे | 

न , प्रिय चिड़िया , तुम व्यर्थ नहीं , 
नहीं है तुम्हारा अभिमानी या महत्वकांशी मन | 
मैं भी चाहता हूँ , एक शांत स्थान ,
जो हरित हो, मानवता से दूर | 
एक अकेला ताल , एक पेड़,
सांस  ले मुझपे अपनी छाती टिकाये |  


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