किंगफ़िशर (रामचिरैया ) - विलियम हेनरी डेविस
किंगफ़िशर कविता मैंने बचपन में स्कूल में पढ़ी थी , आज इसका हिंदी में अनुवाद करने की ईक्षा हुई , सो कर डाला । त्रुटियों के लिए अभी से क्षमा |
_________________________________________________________________
वोह इंद्रधनुष थी , जिसने जन्मा तुझे ,
और छाप छोड़ दी अपने प्यारे वर्णों की |
और, क्यूंकि उसकी माँ का नाम था आँसू,
इस लिए मेरी रगों में भी है चुनाव |
तभी तो, भटकता है सुनसान ताल में , और
साथी है वे दुःख में विलाप करते वृक्ष |
जाओ कभी लेकर अपने महान रंग ,
रहो उन अभिमानी मोरों के बीच हरे बगीचों में |
उस कांचनुमा घांस पे ,
करो प्रदर्षित अपना एक एक पंख |
बैठ उन डालियों पे , फड़फड़ाओ अपने पंख ,
जिनके सामने हैं गर्वीले नरेश के झरोखे |
न , प्रिय चिड़िया , तुम व्यर्थ नहीं ,
नहीं है तुम्हारा अभिमानी या महत्वकांशी मन |
मैं भी चाहता हूँ , एक शांत स्थान ,
जो हरित हो, मानवता से दूर |
एक अकेला ताल , एक पेड़,
सांस ले मुझपे अपनी छाती टिकाये |
Comments